सुकून....!

 तुम्हें क्या लगता है? 

जगह बदलने से हमारी समस्याओं का हल मिलता है? 

अगर ऐसा है तो, क्यों ना हम अपनी अपनी जगह बदले? तुम मेरे जैसे हो जाना, मैं बन जाऊंगी तुम्हारे तरह।

तुम मुझे मनाते रहना, और मैं तुम्हारी जैसी अपने गुस्से पर अड़ी रहूंगी, ना बात करूंगी तुमसे, ना एक नजर देखूंगी तुम्हे।

तुम देना हवाले कान्हा के और बन जाना राधा मेरी। चाहे तो सुनाना कहानी मुझे राम - सीता की या फिर, पार्वती के तप, लेकिन फिर भी मैं ना बात करूंगी तुमसे, रूठी रहूंगी, जैसे तुम रूठते हो.

फिर तुम सुनाना कहानी मुझे, पहाड़ों की, उसके पीछे की दुनिया की, या बता देना समंदर की गहरिया और उसमें डूबती प्रेम कहानियां. 

दे देना हवाले दुनिया भर के प्रेम की लेकिन फिर मैं नहीं मानूंगी। और जब हार जाओगे तब बस बता देना, तुम कितना प्रेम करते हो मुझसे? 

अगर जगह बदलने मिलता हो सुकून? तो मैं तुम बन कर वह सुकून जी लेती हूं और तुम बन जाना वही सुकून वाली जगह.


©शेड्स ऑफ गुलमोहर




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